आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रज"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "रज"
सूफ़ी लेख
महाकवि माघ और उनका काव्य सौन्दर्य- श्री रामप्रताप त्रिपाठी, शास्त्री
पादाहतं यदुत्थाय मूर्द्धानमधि रोहति। स्वस्यादेवापमानेअपि देहिनस्तद्वरं रज।।।2।46।।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
झटपट कटक चढै जबैं पृथीसिंह मल मट्ट रज तुरंग चढि गगन रवि ढक्कढढ्कि यतबट्ट
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
अहंकार हू ते तीन गुण सत रज तम,तम हू ते महाभूत विषय पसार है।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार
“नामूला तु जनश्रुतिः” के अनुसार इन किंवदन्तियों के घटाटोप के बीच से एक सत्य झलक रहा