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सूफ़ी लेख
चतुर्भुजदास की मधुमालती- श्री माताप्रसाद गुप्त
ते बाँचहिं रजनी सभै, आवहिं नर दस बीस। गावैं अरु बातें करहिं, नित उठि देहिं असीस।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(1) रजु भुअंग रजनी परगासा, अस कछु मरम जनावा। समुझि परी मोहि कनक अलंकृत, अब कछु कहत न आवा।।