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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
नाम रतन धन पाए।।निःचय ही से देवल फेरा
हिंदुस्तानी पत्रिका
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
होरी खेलूंगी कह बिस्मिल्लाहनाम नबी की रतन चढ़ी बूंद अल्लाह अल्लाह
शमीम तारिक़
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(32) झिलमिल का कुंआ रतन की क्यारी।बताओ तो बताओ नहीं तो दूंगी गारी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(32) झिलमिल का कुंआ रतन की क्यारी। बताओ तो बताओ नहीं तो दूंगी गारी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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कबीर द्वारा प्रयुक्त कुछ गूढ़ तथा अप्रचलित शब्द पारसनाथ तिवारी
(- बखना जी की वाणी, मंगलदास सम्पादित, पद 43-6) तथा- रतन मिल्यौ पंणि परिख न आई।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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आज रंग है !
नाम नबी की रतन चढ़ी, बूँद पड़ी इल्लल्लाहरंग रंगीली उही खिलावे, जो सखी होवे फ़ना फ़ील्लाह