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सूफ़ी लेख
फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
या चकरंग चंद्र चंदना रास मोती।या इंद्र इन्दु चंदना पेराक्त हती।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
वसंत आगरे आगरे गुनियनु की जहँ रास। बिप्र मथुरिया मिश्र हैं हरिचरननु के दास।।208।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
कहिहौं न करन सिंगार बट तर बसन जमुना-कूल।। भुज भूषनन जुत कंध धरि कै रास नाहिं कराउँ।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(122) कीली पर खेली करे, औ पेड़ में दे दे आग।रास ढोए घर में रखे, वह जाए रह राख।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(122) कीली पर खेली करे, औ पेड़ में दे दे आग। रास ढोए घर में रखे, वह जाए रह राख।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की कविता का आकर्षण, डॉक्टर प्रभाकर माचवे
यह सब दार्शनिक पीठिका इसलिए आवश्यक है कि सूरदास के पदों में वात्सल्य (यशोदा, बाल-लीला) और
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
सूरसागर, डॉक्टर सत्येन्द्र
वात्सल्य संयोग वियोगसूरसागर का समस्त काव्य वात्सल्य तथा श्रृंगार-रस से युक्त है। इन रसों की क्रमशः
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
इसके पश्चात् प्रारंभ की 12 गाथाएँ और दूसरे खंड की समाप्ति के कुछ अंश का अवतरण
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
प्रेमाख्यानकार कवि जान और उनका कृतित्व- डाक्टर हरीश
सूफी प्रेमाख्यानों के साथ असूफी प्रेमाख्यानों का भी योगदान कम महत्व का नहीं। इन असूफी प्रेमाख्यानों
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
“ऐसा हलीम-ओ-बुर्दबार बादशाह इस मुआ’मला में मश्वरों को सुनने की ताक़त न पैदा कर सका और
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
निरंजनी साधु
महाराज श्री विजयसिंह जी के गुरू आत्माराम जी, जिन की भविष्य वाणी नाथों के हाल में
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
मनु लाल मुनैयनि पाँति, पिंजरा तोरि चली।।इस संगीत लहरी में डूबते उतराते हुए जिधर भी दृष्टि
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
श्री वल्लाभाचार्य ने श्रीमद्भागवत से प्रेरणा ग्रहण कर पुष्टि का मार्ग दिखाया था। सूर ने भी
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
बीसलदेव रासो- शालिग्राम उपाध्याय
डा. तारकनाथ अग्रवाल द्वारा संपादित यह कृति कलकत्ता विश्वविद्यालय से डी. फिल. उपाधि के हेतु स्वीकृत
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार
दीक्षा के बाददीक्षा लेने के बाद रसखान पूर्ण कृष्णभक्त हो गये होंगे तथा कृष्णभक्ति में लीन
कृष्णचन्द्र वर्मा
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार - कृष्णचन्द्र वर्मा
दीक्षा के बाददीक्षा लेने के बाद रसखान पूर्ण कृष्णभक्त हो गये होंगे तथा कृष्णभक्ति में लीन
हिंदुस्तानी पत्रिका
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सूर की लोकमंगल-भावना, डॉक्टर भगवती प्रसाद सिंह
लोक-जीवन की मुख्य धुरी समाज की परम्परया प्रतिष्ठित मर्यादा है। उसकी रक्षा से ही स्वस्थ सामाजिक