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सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
कहीं सो लैला हौवे दिखावे।कही सो खुसरो शाह कहावे।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दीकोई पत्थर से न मारे मिरे दीवाने को
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
दारद दिल-ए-दीवानःअम सौदा-ए-लैला-ए-दिगरमजनून-ए-तब्अ’-ए-वहशियम ब-गिर्यद सहरा-ए-दिगर
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
ज़हीन शाह ताजी और उनका सूफ़ियाना कलाम
दिल-ए-बेताब को तस्कीन तबस्सुम से न देचश्म-ए-मजनूँ के लिए महमिल-ए-लैला न बना
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
हुस्न-ए-लैला है यही ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा है यहीक़ैस दीवाना है यही यूसुफ़-ए-ज़िंदाँ है यही
इल्तिफ़ात अमजदी
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
कि मेरे नुत्क़ ने बोसे मेरी जबां के लिए .यह किताब महज एक रचना संग्रह नहीं
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
ताफ़रिक़ा फ़स्ल पैदा करता है और जम्अ’ से वस्ल होता है। मज्नूँ के बातिन की जमई’यत
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
जब खु़सरो साहब ने मसनवी ‘लैला-मजनूँ’ लिखी है, उस वक्त इनकी पुत्री 7 वर्ष की थी।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
1962 अ’ज़ीज़ के लिए बड़ा भाग्यशाली वर्ष रहा। उन्होंने ‘जिया नहीं माना’ रिकॉर्ड किया जो लोगों
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
झूम बराबर झूम ने अज़ीज़ नाज़ाँ की गायकी को जन मानस के दिलों में सदा के
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
Krishna as a symbol in Sufism
सूफ़ी कवियों में ईरान से ही प्रेम गाथाओं की आध्यात्मिक व्याख्या की रिवायत मौजूद थी। लैला