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सूफ़ी लेख
क़व्वाली में आदाब-ए-समाअ से इन्हिराफ़ का सबब
अमीर ख़ुसरौ ने अपनी ईजाद कर्दा क़व्वाली हैं जो आदाब-ए-समा’अ को ख़ास अहमियत न दी तो
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
काफ़ी फ़लाह को हैं दो-आ’लम के दो सबबहम्द-ए-ख़ुदा-ओ-ना’त शह-ए- दूसरा मुझे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
हर गली कूचा महक उट्ठा है संदल के सबबक्या ही ये महका है संदल हज़रत-ए-मख़्दूम का
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
क़ैद-ए-मज़हब सबब-ए-सलफ़-ए-तजर्रुद ता दीददिल-ए-बे-क़ैद ज़ हर गब्र-ओ-मुसलमाँ बर-गश्त
अहमद फ़ाख़िर
सूफ़ी लेख
शैख़ सलीम चिश्ती
शैख़ क़ुतुबुद्दीन उन्हीं ख़ातून के बत्न से थे और शहज़ादा सलीम के दूध शरीक थे जिनको
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
वो कम बोलता हो, ताकि दिल में मशग़ूल रहे, और कम खाता हो ताकि फ़िक्र जारी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी
“सुनो सुनो वह्ब बिन मुनब्ह कहते हैं कि का’ब अहबार मस्जिद में सब सफ़ों के पीछे