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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
मेह सहै सिर, सीत सहे तन,धूप समै जो पँचागिनि वारी।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(191) द्वारे मोरे खड़ा रहे। धूप छाव सब सर पर सहे।।जब देखो मोरी जाए भूख। ऐ सखी साजन ना सखी रूख़।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(191) द्वारे मोरे खड़ा रहे। धूप छाव सब सर पर सहे।। जब देखो मोरी जाए भूख। ऐ सखी साजन ना सखी रूख़।।