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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
वास्तस्यायन सूत्र की जय मंडल टीका सूर सागर रसिक चिमनबिहारी सतसई परमानन्द सागर 84 वैष्णवों की वार्ता
भारतीय साहित्य पत्रिका
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सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
आछे तोरइ भितर अतल सागर तार पाइलि ना मरम
सम्मेलन पत्रिका
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जब मन मिल्यौ राम सागर सों।तब यह मिटी पुकारा।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
विवेक सागर, पृ. 73 बहुत जनत तप कीनेउ, सब फल क्रोध नसाय।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
कूरम कुल अवतस हस के बस उजागर। रामसिंघ नरनाह सूग्ता जस कौ सागर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
भव-सागर का रूपक भई बहुत पिष्ट-पेषित है----(1) अति संसार अपार भवसागर।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
सागर गुन सत सील कौ नागर परम उदार।।16।। आयामल्ल अखंडतप जग-सोहत-जस, ताहि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सूरसागर, डॉक्टर सत्येन्द्र
अतः विषय की दृष्टि से ‘सूर-सागर’ के तीन विभाग किये जा सकते हैं-1. विनयादि।
सूरदास : विविध संदर्भों में
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दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
5-दारा शुकोह – स्रष्टा तथा सृष्टि में क्या अन्तर है? मैंने यह प्रश्न किसी से किया
सुमन मिश्रा
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When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
शुक्ल– आपके मन में न जाने कैसे यह धारणा बद्धमूल हो गई है कि मैंने आपके