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सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
प्रथु समान प्रथिराज राज भुव साज सुवारन। धरमराज सुभकाज लाज कूरम कुल धारन।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़िया-ए-किराम और ख़िदमात-ए-उर्दू - सय्यद मुहीउद्दीन नदवी
शोरफ़ा बल-बल जाए उस गर्द के साजबड़े सीसतानी जन कहे सगर राज के राज
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
चन्दायन - डॉ. विश्वनाथ प्रसाद
लोग कतेत कछु कहे न तोरा।।दोहा- काह विराग तुम निसरे साज कह तुम तहे बात
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
जिते साज हैं कबित के मम्भट कहे बखानि। ते सब भाषा मैं कहे रस-रहस्य मैं जानि।।210।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़, राग ताल और ठेके
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़ों की तफ़्सील किसी एक मज़मून या किताब से दस्तयाब नहीं होती, अलबत्ता