परिणाम "हादिसा"
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“निज़ामी की वफ़ात का हादिसा इक़बाल-नामा के इख़्तिताम के बा’द तसव्वुर करना चाहिएइस से किसी को इन्कार नहीं हो सकता, लेकिन आगे चल कर सिकन्दर-नामा की मुख़्तलिफ़ इशाअ’तों का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं:
साहिब-ए-मिर्अतुल-असरार अ’ब्दुर्रहमान चिश्ती ने हज़रत सय्यिद अमीर माह के हालात तफ़्सील से लिखे हैं।‘‘आ’रिफ़ पेशवा-ए-यक़ीन मुक़्तदा-ए-वक़्त मीर सय्यिद अमीर माह बिन सय्यिद निज़ामुद्दीन क़ुद्दिसा सिर्रहु,आपका शुमार कामिलीन-ए-रोज़-गार-ओ-बुज़ुर्गान-ए-साहिब-ए-असरार में होता है।आप शान-ए-अ’ज़ीम-ओ-करामात-ए-वाफ़िर-ओ-हाल-ए-क़वी-ओ-हिम्मत-ए-बुलंद के मालिक थे। आपके वालिद मीर सय्यिद निज़ामुद्दीन शहर के आ’ली-नसब सादात में से थे और हादिसा-ए-हलाकू ख़ाँ के वक़्त हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए।आप बहराइच में मुक़ीम हुए और उसी जगह विसाल पाया।’’
अ’ज़ीज़ी अ’लीमुद्दीन अ-अ’ज़्ज़कल्लाहु तआ’ला बा’द सलामुन-अ’लैकअभी ख़ालिद सल्लमहु का लिफ़ाफ़ा दानापुर से आया जिससे हज़रत भाई
हादिसा वुक़ूअ’-पज़ीर होने के बा’द ''अलमिया' या ''तरबिया' बन जाता है। ख़ुश-गवार हादिसे की पैदावार ''तरबिया'
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