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इस्म-ए-गिरामी ज़ियाउद्दीन और तख़ल्लुस नख़्शबी था। बदायूँ के रहने वाले थे। ज़िंदगी गोशा-ए-तन्हाई में गुज़ारी लेकिन अपनी इस्ति’दाद की वजह से बड़ी शोहरत हासिल की।‘अख़्बारुल-अख़्यार’ और ‘ख़ज़ीनतुल-अस्फ़िया’ में है कि मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी की इरादत सुल्तानुत्तारिकीन शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी के पोते हज़रत शैख़ फ़रीद से थी।‘अख़्बारुल-अख़्यार’ में है ”चुनीं शुनीदः शुदः अस्त कि वय मुरीद-ए-शैख़ फ़रीद अस्त कि नबीरः-ओ-ख़लीफ़:-ए-सुल्तानुत्तारिकीन शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी अस्त वल्लाहु आ’लम” ।
अ’ब्दुल-रब चाऊश मुक़ाबलों के फ़नकार हैं, मुक़ाबलों की हद तक दुनिया-ए-क़व्वाली में उनका नाम ना-क़ाबिल-ए-शिकस्त तस्लीम
हज़रत क़ुत्ब-ए-आलम के नाम से ‘आलम में मशहूर हुए।ख़ानदानी हालात: आप हज़रत मख़दूम जहाँनियाँ जहाँगश्त सय्यद जलालुद्दीन बुख़ारी के पोते हैं।
शाह नियाज़ बरेलवी सिलसिला-ए-चिश्तिया के सूफ़ी शो‘रा में गुहर-ए-आबदार की हैसियत रखते हैं, जिन्हें मब्दा-ए-फ़य्याज़ ने
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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