आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "abdul ghafoor shahbaz hayat aur adbi khidmat mohammad akhtarul hasan ebooks"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "abdul ghafoor shahbaz hayat aur adbi khidmat mohammad akhtarul hasan ebooks"
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और मूसीक़ी
क़व्वाली की बुनियाद मूसीक़ी पर नहीं बल्कि शाइ’री पर है या'नी अल्फ़ाज़-ओ-मआ’नी पर लेकिन क़व्वाली चूँकि
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में तसव्वुफ़ की इबतिदा और ग़ैर मुस्लिमों की दिलचस्पी और नाअत की इबतिदा
तसव्वुफ़ एक ऐसा मौज़ू’ है जिसमें सारी ख़ल्क़ को ख़ालिक़ की जानिब रुजू’ होने का पैग़ाम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
जदीद क़व्वाली और मूसीक़ी
पहले तो क़व्वाली की धुनें बहुत मख़्सूस और महदूद थीं, इन्हीं धुनों में कलाम के रद्द-ओ-बदल
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
सूफ़ी-संतों के योगदान को अगर एक वाक्य में लिखना हो तो हम कह सकते हैं कि
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और समा
जब हम क़व्वाली पर ब-हैसियत-ए-फ़न बह्स करते हैं और इसकी ईजाद-ओ-इर्तिक़ा में फ़न्नी उरूज की बात
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली की वजह तसमीया
क़ौल और कलबाना अमीर ख़ुसरौ के ईजाद-कर्दा दो ऐसे राग हैं जो अक़्साम-ए-क़व्वाली में शुमार किए
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और सहाफ़त
सहाफ़त में मज़हबिय्यात के लिए बहुत कम गुंजाइश है और बद-नसीबी से क़व्वाली ‘उमूमन मज़हबी कालम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
रेडियो और क़व्वाली
हिन्दोस्तान में रेडियो बीसवीं सदी के इब्तिदाई दहों में पहुंचा, यही वो ज़माना था जबकि क़व्वाली
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और गणपति
गणपति महाराष्ट्र का एक ऐसा त्यौहार है जिसे यहाँ के हिंदू बाशिंदे हर साल चौथी चतुर्थी
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और फ़िल्म
दुनिया-भर में ख़ामोश फ़िल्मों की तैयारी और उन्हें दिखाने का सिलसिला 1850 के आस-पास शुरू’ हुआ।
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
शैख़ सलीम चिश्ती
मशहूर तो यूं है कि हिन्दुस्तान में इस्लाम का ज़माना मोहम्मद ग़ौरी से शुरूअ’ होता है
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
दिल्ली शहर को बाईस ख्व़ाजा की चौखट भी कहा जाता है। इस शहर ने हिन्दुस्तानी तसव्वुफ़