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सूफ़ी लेख
निरंजनी साधु
निरंजनी साधुइनका पंथ भी संवत् 1600 के पीछे हरिदास जी से चला है। हरिदास को कोई
भारतीय साहित्य पत्रिका
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अलाउल की पद्मावती - वासुदेव शरण अग्रवाल
मलिक मुहम्मद जायसी कृत पद्मावत की व्याख्या लिखते हुए मेरा ध्यान पद्मावत के अन्य अनुवादों की
भारतीय साहित्य पत्रिका
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कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
युग प्रवर्तक बसवेश्वर की वाणी में समाज सुधारक, धर्म सुधारक और सुभाषितकार की एक त्रिवेणी है।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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अलाउल की पदमावती- वासुदेव शरण अग्रवाल- Ank-1, 1956
प्राक्कथनमलिक मुहम्मद जायसी कृत पद्मावत की व्याख्या लिखते हुए मेरा ध्यान पद्मावत के अन्य अनुवादों की
भारतीय साहित्य पत्रिका
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क़व्वाली और मूसीक़ी
क़व्वाली की बुनियाद मूसीक़ी पर नहीं बल्कि शाइ’री पर है या'नी अल्फ़ाज़-ओ-मआ’नी पर लेकिन क़व्वाली चूँकि
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में तसव्वुफ़ की इबतिदा और ग़ैर मुस्लिमों की दिलचस्पी और नाअत की इबतिदा
तसव्वुफ़ एक ऐसा मौज़ू’ है जिसमें सारी ख़ल्क़ को ख़ालिक़ की जानिब रुजू’ होने का पैग़ाम
अकमल हैदराबादी
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अलाउल और उनकी पद्मावती-सत्येन्द्रनाथ घोषाल, शान्तिनिकेतन - Ank-1, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
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हिन्दी साहित्य में लोकतत्व की परंपरा और कबीर- डा. सत्येन्द्र
हिन्दी पहले लोक भाषा थी। लोकभाषा ही शनैः शनैः साहित्यिक भाषा का रूप ग्रहण करती है।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
भारतीय संत परंपरा के उज्ज्वल इतिहास में स्वामी चरणदास और उनके द्वारा रचित साहित्य का स्थान
भारतीय साहित्य पत्रिका
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निर्गुण कविता की समाप्ति के कारण, श्री प्रभाकर माचवे - Ank-1, 1956
सामान्यतः निर्गुण कविता की समाप्ति के कारण ऐतिहासिक यानी राजनैतिक बताये जाते हैं। मुस्लिम आक्रमण के
भारतीय साहित्य पत्रिका
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जदीद क़व्वाली और मूसीक़ी
पहले तो क़व्वाली की धुनें बहुत मख़्सूस और महदूद थीं, इन्हीं धुनों में कलाम के रद्द-ओ-बदल
अकमल हैदराबादी
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शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
सूफ़ी-संतों के योगदान को अगर एक वाक्य में लिखना हो तो हम कह सकते हैं कि
सुमन मिश्रा
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क़व्वाली और समा
जब हम क़व्वाली पर ब-हैसियत-ए-फ़न बह्स करते हैं और इसकी ईजाद-ओ-इर्तिक़ा में फ़न्नी उरूज की बात