परिणाम "bil-farz"
Tap the Advanced Search Filter button to refine your searches
क़व्वाली की इब्तिदाई ज़बान अरबी है जो नस्र पर मुश्तमिल थी।नस्र कलाम-ए-मौज़ूं नहीं और मौसीक़ी मुतक़ाज़ी है कलाम मौज़ूँ की। मौसीक़ी के इस रंग के तहत ख़ुसरो ने क़व्वाली में इब्तिदा ही से' तराने' के बोल जोड़ दिए ताकि रागनी की शक्ल भी न बिगड़े और अक़्वाल भी जूँ के तूँ बरक़रार रहें।
अमीर ख़ुसरो की क़व्वाली में तराना के बोल शामिल हैं, आपने क़व्वाली में सबसे पहले जो क़ौल पेश किया वो सरवर-ए-काइनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हसब-ए-ज़ैल क़ौल बताया जाता है।‘’मन कुन्तु मौलाहु फ़-अलिय्यु मौलाह'
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books