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इस्म-ए-गिरामी ज़ियाउद्दीन और तख़ल्लुस नख़्शबी था। बदायूँ के रहने वाले थे। ज़िंदगी गोशा-ए-तन्हाई में गुज़ारी लेकिन अपनी इस्ति’दाद की वजह से बड़ी शोहरत हासिल की।‘अख़्बारुल-अख़्यार’ और ‘ख़ज़ीनतुल-अस्फ़िया’ में है कि मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी की इरादत सुल्तानुत्तारिकीन शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी के पोते हज़रत शैख़ फ़रीद से थी।‘अख़्बारुल-अख़्यार’ में है ”चुनीं शुनीदः शुदः अस्त कि वय मुरीद-ए-शैख़ फ़रीद अस्त कि नबीरः-ओ-ख़लीफ़:-ए-सुल्तानुत्तारिकीन शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी अस्त वल्लाहु आ’लम” ।
अ’ब्दुल-रब चाऊश मुक़ाबलों के फ़नकार हैं, मुक़ाबलों की हद तक दुनिया-ए-क़व्वाली में उनका नाम ना-क़ाबिल-ए-शिकस्त तस्लीम
जनाब डॉ लतीफ़ हुसैन अदीब बरेलवी का एक फ़ाज़िलाना मक़ाला हज़रत शाह नियाज़ अहमद नियाज़ बरेलवी पर मआ’रिफ़ आ’ज़मगढ, जिल्द94 शुमारा नंबर 5 (नवंबर सन1965 ई’सवी) में शाए’ हुआ है।फ़ाज़िल मक़ाला-निगार ने हज़रत नियाज़ बरेलवी की शाइ’री पर अछूते अंदाज़ में तआ’रुफ़-ओ-तब्सिरा फ़रमाया है।उस मक़ाला के आख़िर में लिखा है :“ख़ानक़ाह नियाज़िया के ज़ख़ीरा-ए-नवादिरात में थोड़ा अ’रबी कलाम मज़ीद महफ़ूज़ है जो ज़ेवर-ए-तबा’ से आरास्ता नहीं हुआ”
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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