परिणाम "mukhtasar ahwal e ulama wa auliya"
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हिन्दोस्तान में चार रुहानी सिलसिले बेहद मशहूर हुए, चिश्ती, क़ादरी, सुह्रवर्दी और नक़्शबंदी लेकिन इन चारों
सूफ़िया-ए-किराम तमाम इन्सानों में अल्लाह के वुजूद के क़ाइल हैं, लिहाज़ा वो बिला- तफ़्रीक़-ए-मदारिज-ओ-मज़ाहिब तमाम इन्सानों से मुहब्बत की ता’लीम देते हैं । वो सारी मख़्लूक़ को अल्लाह का मज़हर मानते हैं। वो ज़र्रा ज़र्रा में ख़ुदा के वुजूद पर यक़ीन रखते हैं । इस यक़ीन की बुनियाद क़ुर्आन-ए-पाक की हसब-ए-ज़ैल आयत है।फ़-ऐनमा तवल्लू फ़-सम्मा वज्हुल्लाह
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की नज़र में अमीर ख़ुसरो का मे’यार-ए-दीनदारी इतना बुलंद न था कि वो
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