आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "پر"
शेर के संबंधित परिणाम "پر"
शे'र
जिगर मुरादाबादी
शे'र
इलाही ख़ैर ज़ोरों पर बुतान-ए-पुर-ग़ुरूर आएकहीं ऐसा न हो ईमान-ए-आ’लम में फ़ुतूर आए
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
जुनूँ ज़ाहिर हुआ रुख़ पर ख़ुदी पर बे-ख़ुदी छाईब-क़ैद-ए-होश मैं जब भी क़रीब-ए-आस्ताँ पहुँचा
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
जफ़ा-ओ-जौर के सदक़े तसद्दुक़-बर-ज़बानी परसुनाते हैं वो लाखों बे-नुक़त इस बे-दहानी पर
कौसर ख़ैराबादी
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
मिरा जी जलता है उस बुलबुल-ए-बेकस की ग़ुर्बत परकि जिन ने आसरे पर गुल के छोड़ा आशियाँ अपना