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शे'र
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाण चला करसँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो इस निर्धन को
अब्दुल हादी काविश
शे'र
कामिल शत्तारी
शे'र
दु’आ कह कर चला बंदा सलाम आ कर करेगा फिरख़त आवे जब तलक तो बंदगी से ख़ूब जाता है
एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
शे'र
देख कर का'बे को ख़ाली मैं ये कह कर आ गयाऐसे घर को क्या करूँगा जिस के अंदर तू नहीं
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाँड़ चला करसाँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो इस निर्धन को
अब्दुल हादी काविश
शे'र
गर तालिब-ए-अल्लाह हुआ है इ’श्क़ को पहले पैदा करप्रेम की चक्की में दिल अपना पीस पिसा कर मैदा कर