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शे'र
जोई अव्वल सोई आख़िर जोई ज़ाहिर सोई बातिनख़ुदी के तर्क में जल्दी से मख़्फ़ी सब अ'याँ होगा
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
दर्द-ए-दिल अव्वल तो वो आ’शिक़ का सुनते ही नहींऔर जो सुनते हैं तो सुनते हैं फ़साने की तरह
अमीर मीनाई
शे'र
मुझसे अव़्वल न था कुछ दह्र में जुज़ ज़ात-ए-ख़ुदाग़ैर-ए-हक़ देखा तो फिर कुछ न रहा मेरे बा’द
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
शे'र
बाग़-ओ-बहिश्त-ओ-हूर-ओ-जन्नत अबरारों को कीजिए इनायतहमें नहीं कुछ उस की ज़रूरत आप के हम दीवाने हैं
निसार अकबराबादी
शे'र
जिगर मुरादाबादी
शे'र
ऐ’श-ओ-इश्रत वस्ल-ओ-राहत सब ख़ुशी में हैं शरीकबे-कसी में आह कोई पूछने वाला नहीं
मिरर्ज़ा फ़िदा अली शाह मनन
शे'र
साज़-ओ-सामाँ हैं मेरी ये बे सर-ओ-सामनियाँबाग़-ए-जन्नत से भी अच्छा है ये वीराना मिरा
कैफ़ी हैदराबादी
शे'र
वफ़ा की हो किसी को तुझ से क्या उम्मीद ओ ज़ालिमकि इक आलम है कुश्त: तेरी तर्ज़-ए-बेवफ़ाई का