आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अहल-ए-जहाँ"
शेर के संबंधित परिणाम "अहल-ए-जहाँ"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
ऐ ग़म मुझे याँ अहल-ए-तअय्युश ने है घेराइस भीड़ में तू ऐ मिरे ग़म-ख़्वार कहाँ है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शे'र
बाग़-ए-जहाँ के गुल हैं या ख़ार हैं तो हम हैंगर यार हैं तो हम हैं अग़्यार हैं तो हम हैं
ख़्वाजा मीर दर्द
शे'र
नौ ख़त तो हज़ारों हैं गुलिस्तान-ए-जहाँ मेंहै साफ़ तो यूँ तुझ सा नुमूदार कहाँ है