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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
ख़ुशी से दूर हूँ ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इ’शरत हूँसरापा दर्द हूँ वाबस्ता-ए-ज़ंजीर-क़िस्मत हूँ
शाह मोहसिन दानापुरी
शे'र
ख़ुशी से दूर हूँ ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इ’शरत हूँसरापा दर्द हूँ वाबस्ता-ए-ज़ंजीर-क़िस्मत हूँ
शाह मोहसिन दानापुरी
शे'र
क्यूँ ये ख़ुदा के ढूँडने वाले हैं ना-मुरादगुज़रा मैं जब हुदूद-ए-ख़ुदी से ख़ुदा मिला
सीमाब अकबराबादी
शे'र
क्यूँ ये ख़ुदा के ढूँडने वाले हैं ना-मुरादगुज़रा मैं जब हुदूद-ए-ख़ुदी से ख़ुदा मिला
सीमाब अकबराबादी
शे'र
जिन्हाँ इ’श्क़ हक़ीक़ी पाया मूँहों ना अलावत हूज़िकर फ़िकर विच रहण हमेशा दम नूँ क़ैद लागवन हू
सुल्तान बाहू
शे'र
जो कुछ भी ख़ुशी से होता है ये दिल का बोझ ना बन जाएपैमान-ए-वफ़ा भी रहने दो सब झूटी बातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
शे'र
बद-मिज़ाजी ना-ख़ुशी आज़ुर्दगी किस वास्तेगर बुरे हम हैं तो हो जिए और से जा आश्ना
मीर मोहम्मद बेदार
शे'र
बद-मिज़ाजी ना-ख़ुशी आज़ुर्दगी किस वास्तेगर बुरे हम हैं तो हो जिए और से जा आश्ना