आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "गर्दिश-ए-माह-ओ-साल"
शेर के संबंधित परिणाम "गर्दिश-ए-माह-ओ-साल"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
वो उ’रूज-ए-माह वो चाँदनी वो ख़मोश रात वो बे-ख़ुदीवो तसव्वुरात की सरख़ुशी तिरे साथ राज़-ओ-नियाज़ में
सीमाब अकबराबादी
शे'र
वो ऐ 'सीमाब' क्यूँ सर-ग़श्तः-ए-तसनीम-ओ-जन्नत होमयस्सर जिस को सैर-ए-ताज और जमुना का साहिल है
सीमाब अकबराबादी
शे'र
कमाल-ए-इ’ल्म-ओ-तहक़ीक़-ए-मुकम्मल का ये हासिल हैतिरा इदराक मुश्किल था तिरा इदराक मुश्किल है
सीमाब अकबराबादी
शे'र
फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू-ए-दहर मत खा मर्द-ए-आ'क़िल होसमझ आतिश-कदा इस गुलशन-ए-शादाब-ए-दुनिया को