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शे'र
जिस दिन से बू-ए-ज़ुल्फ़ ले आई है अपने साथइस गुलशन-ए-जहाँ में हुआ हूँ सबा-परस्त
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
ख़ुद अदा मरती है जिस पर वो अदा कुछ और हैहै वफ़ा भी जिस पे सदक़े वो जफ़ा कुछ और है
तसद्दुक़ अ’ली असद
शे'र
मैं वो गुल हूँ न फ़ुर्सत दी ख़िज़ाँ ने जिस को हँसने कीचराग़-ए-क़ब्र भी जल कर न अपना गुल-फ़िशाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
मैं वो गुल हूँ न फ़ुर्सत दी ख़िज़ाँ ने जिस को हँसने कीचराग़-ए-क़ब्र भी जल कर न अपना गुल-फ़िशाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
मैं वो गुल हूँ न फ़ुर्सत दी ख़िज़ाँ ने जिस को हँसने कीचराग़-ए-क़ब्र भी जल कर न अपना गुल-फ़िशाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
मैं वो गुल हूँ न फ़ुर्सत दी ख़िज़ाँ ने जिस को हँसने कीचराग़-ए-क़ब्र भी जल कर न अपना गुल-फ़िशाँ होगा
अर्श गयावी
शे'र
वो तजल्ली जिस ने दश्त-ए-आरज़ू चमका दियाकुछ तो मेरे दिल में है और कुछ कफ़-ए-मूसा में है