आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दामन-ए-होश-ए-ख़िरद"
शेर के संबंधित परिणाम "दामन-ए-होश-ए-ख़िरद"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
कामिल शत्तारी
शे'र
बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैंहर वक़्त उन्ही के जल्वों से ईमान का सौदा करते हैं
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
कि ख़िरद की फ़ित्नागरी वही लुटे होश छा गई बे-ख़ुदीवो निगाह-ए-मस्त जहाँ उठी मिरा जाम-ए-ज़िंदगी भर गया
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
ख़िरद है मजबूर अक़्ल हैराँ पता कहीं होश का नहीं हैअभी से आलम है बे-ख़ुदी का अभी तो पर्दा उठा नहीं है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
ऐ चारागर-ए-ख़ुश-फ़हम ज़रा कुछ अक़्ल की ले कुछ होश की लेबीमार-ए-मोहब्बत भी तुझ से नादान कहीं अच्छा होगा