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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
जो कुछ भी ख़ुशी से होता है ये दिल का बोझ ना बन जाएपैमान-ए-वफ़ा भी रहने दो सब झूटी बातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
शे'र
ख़ुशी से दूर हूँ ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इ’शरत हूँसरापा दर्द हूँ वाबस्ता-ए-ज़ंजीर-क़िस्मत हूँ
शाह मोहसिन दानापुरी
शे'र
ख़ुशी से दूर हूँ ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इ’शरत हूँसरापा दर्द हूँ वाबस्ता-ए-ज़ंजीर-क़िस्मत हूँ
शाह मोहसिन दानापुरी
शे'र
महकने को गुल-ए-दाग़-ए-मोहब्बत दिल में है अपनेखटकने को है ख़ार-ए-हसरत-ए-दीदार आँखों में
कैफ़ी हैदराबादी
शे'र
क्यूँ ये ख़ुदा के ढूँडने वाले हैं ना-मुरादगुज़रा मैं जब हुदूद-ए-ख़ुदी से ख़ुदा मिला
सीमाब अकबराबादी
शे'र
क्यूँ ये ख़ुदा के ढूँडने वाले हैं ना-मुरादगुज़रा मैं जब हुदूद-ए-ख़ुदी से ख़ुदा मिला