परिणाम "निस्बत"
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तू चाहे न कर दिल से उल्फ़त तू चाहे न रख मुझ से निस्बतमैं तेरी नज़र में ग़ैर मगर तू और नहीं मैं और नहीं
जो 'नूह' से निस्बत रखते हैं ला-रैब 'अ’ज़ीज़' उन की कश्तीदम-भर में इधर हो जाती है दम-भर में उधर हो जाती है
लाला-ओ-गुल से तुझ को क्या निस्बतना-मुकम्मल से इस्तिआ'रे हैं
निस्बत तो है बस उसी से सब कोगुल उस के हुए तो ख़ार किस का
हमें निस्बत है जन्नत से कि हम भी नस्ल-ए-आदम हैंहमारा हिस्सा 'राक़िम' है इरम में हौज़-ए-कौसर में
बेदारी हो या ख़्वाब हो हर हाल में है वस्लजो साहब-ए-निस्बत हैं मगर अहल-ए-यकीं हैं
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