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शे'र
मिरी सम्त से उसे ऐ सबा ये पयाम-ए-आख़िर-ए-ग़म सुनाअभी देखना हो तो देख जा कि ख़िज़ाँ है अपनी बहार पर
जिगर मुरादाबादी
शे'र
कहियो ऐ क़ासिद पयाम उस को कि तेरे हिज्र सेजाँ-ब-लब पहुँचा नहीं आता है तू याँ अब तलक
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
शाह नसीर
शे'र
शाह नसीर
शे'र
शाह नसीर
शे'र
मैं हूँ एक आशिक़-ए-बे-नवा तू नवाज़ अपने पयाम सेये तिरी रज़ा पे तिरी ख़ुशी तू पुकार ले किसी नाम से
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
मैं हूँ एक आ’शिक़-ए-बे-नवा तू नवाज़ अपने पयाम सेये तिरी रज़ा पे तिरी ख़ुशी तू पुकार ले किसी नाम से
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
पहुँचा है जब से इ’श्क़ का मुझ को सलाम-ए-ख़ासदिल के नगीं पे तब से खुदाया है नाम-ए-ख़ास
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
बाग़-ओ-बहिश्त-ओ-हूर-ओ-जन्नत अबरारों को कीजिए इनायतहमें नहीं कुछ उस की ज़रूरत आप के हम दीवाने हैं
निसार अकबराबादी
शे'र
जिगर मुरादाबादी
शे'र
ऐ’श-ओ-इश्रत वस्ल-ओ-राहत सब ख़ुशी में हैं शरीकबे-कसी में आह कोई पूछने वाला नहीं