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शे'र
ख़फ़ा सय्याद है चीं बर जबीं गुलचीं है क्या बाइ'सबुरा किस का किया तक़्सीर की हम ने भला किस की
आसी गाज़ीपुरी
शे'र
मिलें भी वो तो क्यूँकर आरज़ू बर आएगी दिल कीन होगा ख़ुद ख़याल उन को न होगी इल्तिजा मुझ से
हसरत मोहानी
शे'र
मिलें भी वो तो क्यूँकर आरज़ू बर आएगी दिल कीन होगा ख़ुद ख़याल उन को न होगी इल्तिजा मुझ से
हसरत मोहानी
शे'र
नामा-बर ख़त दे के उस को लफ़्ज़ कुछ मत बोलियोदम-ब-ख़ुद रहियो तेरी तक़रीर की हाजत नहीं