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शे'र
वो बहर-ए-हुस्न शायद बाग़ में आवेगा ऐ 'एहसाँ'कि फ़व्वारा ख़ुशी से आज दो दो गज़ उछलता है
अ’ब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शे'र
हमारे दिल को बहर-ए-ग़म की क्या ताक़त जो ले बैठेवो कश्ती डूब कब सकती है जिस के नाख़ुदा तुम हो
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
ख़ुदा-हाफ़िज़ है बहर-ए-इ’श्क़ में इस दिल की कश्ती काकि है चीन-ए-जबीन-ए-यार से मौज-ए-दिगर पैदा
शाह नसीर
शे'र
दवाँ हो कश्ती-ए-उ’म्र-ए-रवाँ यूँ बहर-ए-हस्ती मेंकहीं उभरी कहीं डूबी कहीं मा’लूम होती है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
रुख़ पे हर सूरत से रखना गुल-रुख़ाँ ख़त का है कुफ़्रदेखो क़ुरआँ पर न रखियो बोस्ताँ बहर-ए-ख़ुदा