आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "याद-ए-रफ़्तगाँ"
शेर के संबंधित परिणाम "याद-ए-रफ़्तगाँ"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
अंधेरा क़ब्र का देखा तो फिर याद आ गए गेसूमैं समझा था कि अब मैं तेरे काकुल से निकल आया
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
वफ़ाएँ याद करके वो बहा जाते हैं रोज़ आँसूरहेगा हश्र तक सरसब्ज़ सब्ज़ः मेरी तुर्बत का
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
याद में उस क़द-ओ-रुख़्सार के ऐ ग़म-ज़दगाँजा के टुक बाग़ में सैर-ए-गुल-ओ-शमशाद करो
मीर मोहम्मद बेदार
शे'र
ख़ुदा का शुक्र है प्यासे को दरिया याद करता हैमुसाफ़िर ने फ़राहम कर लिया है कूच का सामाँ
नाज़ाँ शोलापुरी
शे'र
ख़ुदा को याद कर क्यों मुल्तजी है कीमिया-गर सेकि सोना ख़ाक से होता है पैदा ला’ल पत्थर से
बह्र लखनवी
शे'र
ख़ुदा को याद कर क्यों मुल्तजी है कीमिया-गर सेकि सोना ख़ाक से होता है पैदा ला’ल पत्थर से