आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सदा-ए-दिल"
शेर के संबंधित परिणाम "सदा-ए-दिल"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ पर
अकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
सदा ही मेरी क़िस्मत जूँ सदा-ए-हल्क़ा-ए-दर है
अगर मैं घर में जाता हूँ तो वो बाहर निकलता है
अ’ब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शे'र
जफ़ा की बातें सदा बनाना वफ़ा की बातें कभी न करना
ख़ुदा के घर में कमी नहीं है किए में अपने कमी न करना
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
महकने को गुल-ए-दाग़-ए-मोहब्बत दिल में है अपने
खटकने को है ख़ार-ए-हसरत-ए-दीदार आँखों में
कैफ़ी हैदराबादी
शे'र
उ’मूमन ख़ाना-ए-दिल में मोहब्बत आ ही जाती है
ख़ुदी ख़ुद-ए’तिमादी में बदल जाये तो बंदों को
फ़क़ीर क़ादरी
शे'र
सजा कर लख़्त-ए-दिल से कश्ती-ए-चश्म-ए-तमन्ना को
चला हूँ बारगाह-ए-इ’श्क़ में ले कर ये नज़्राना
बेदम शाह वारसी
शे'र
ढ़ूंढ़े असरार-ए-ख़ुदा दिल ने जो अंधा बन कर
रह गया आप ही पहलू में मुअ’म्मा बन कर