परिणाम "सनम-ख़ाना"
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बन जाएगा अल्लाह का घर ख़ुद ही किसी दिनफ़िलहाल 'फ़ना' को सनम-ख़ाना कहेंगे
कहूँ क्या ख़ुदा जानता है सनममोहब्बत तिरी अपना ईमान है
सनम का नाज़-ओ-अंदाज़-ओ-अदा क्याफ़क़ीर-ए-वारसी का मुद्दआ' क्या
है आशिक़ को अपने सनम की क़सममुझे तेरे ख़ाक-ए-क़दम की क़सम
हमीं दैर-ओ-का'बा ख़ुदा-ओ-सनमहमीं साहब-ख़ाना घर भी हमीं
'आशिक़ हूँ मैं तो उस सनम-ए-बे-’अदील काबुत-ख़ाना में जो राह-नुमा था ख़लील का
मिल गया राह में मुझ को जब वो सनम लाख दिल को सँभाला किया ज़ब्त-ए-ग़मदिल में हसरत लिए चंद आँसू मगर दफ़्अ'तन मुस्कुराए तो मैं क्या करूँ
मिल गया राह में मुझ को जब वो सनम लाख दिल को सँभाला किया ज़ब्त-ए-ग़मदिल में हसरत लिए चंद आँसू मगर दफ़अ'तन मुस्कुराए तो मैं क्या करूँ
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