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शे'र
आ’शिक़ इ’श्क़ माही दे कोलों फिरन हमेशा खीवे हूजींदे जान माही नूँ डित्ती दोहीं जहानीं जीवे हू
सुल्तान बाहू
शे'र
अरे दिल मिस्ल-ए-बुलबुल चुप हमेशा नाला-ज़न है तूँकहीं गुल-पैरहन गुल-रू की पाया कुछ ख़बर है रे
तुराब अली दकनी
शे'र
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
नहीं देता जो मय अच्छा न दे तेरी ख़ुशी साक़ीप्याले कुछ हमेशा ताक़ पर रखे नहीं रहते