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हर आँख की तिल में है ख़ुदाई का तमाशाहर ग़ुन्चा में गुलशन है हर इक ज़र्रा में सहरा
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
शे'र
ईमान सलामत हर कोई मंगे इ’श्क़ सलामत कोई हूजिस मंज़ल नूँ इ’श्क़ पहुँचावे ईमान ख़बर न कोई हू
सुल्तान बाहू
शे'र
ईमान सलामत हर कोई मंगे इश्क़ सलामत कोई हूमाँगण ईमान शरमावण इश्क़ोंं दिल नूँ ग़ैरत होई हू
सुल्तान बाहू
शे'र
उधर हर वार पर क़ातिल को बरसों लुत्फ़ आया हैइधर हर ज़ख़्म ने दी है सदा-ए-आफ़रीं बरसों
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
रुख़ पे हर सूरत से रखना गुल-रुख़ाँ ख़त का है कुफ़्रदेखो क़ुरआँ पर न रखियो बोस्ताँ बहर-ए-ख़ुदा
शाह नसीर
शे'र
रुख़ पे हर सूरत से रखना गुल-रुख़ाँ ख़त का है कुफ़्रदेखो क़ुरआँ पर न रखियो बोस्ताँ बहर-ए-ख़ुदा
शाह नसीर
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल