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शे'र
वो बहर-ए-हुस्न शायद बाग़ में आवेगा ऐ 'एहसाँ'कि फ़व्वारा ख़ुशी से आज दो दो गज़ उछलता है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शे'र
तिरी आमादगी क़ातिल तबस्सुम है मोहब्बत कातवज्जोह गर नहीं मुज़्मर तो क़स्द-ए-इम्तिहाँ क्यूँ हो
मयकश अकबराबादी
शे'र
उ’मूमन ख़ाना-ए-दिल में मोहब्बत आ ही जाती हैख़ुदी ख़ुद-ए’तिमादी में बदल जाये तो बंदों को
फ़क़ीर क़ादरी
शे'र
बला के रंज-ओ-ग़म दरपेश हैं राह-ए-मोहब्बत मेंहमारी मंज़िल-ए-दिल तक हमें अल्लाह पहुँचाए
सदिक़ देहलवी
शे'र
हम में और उन में मोहब्बत या ख़ुदा ऐसी तो होजो सुने वो बोल उट्ठे मेहर-ओ-वफ़ा ऐसी तो हो
कैफ़ी हैदराबादी
शे'र
बदलती ही नहीं क़िस्मत मोहब्बत करने वालों कीतसव्वुर यार का जब तक 'फ़ना' पैहम नहीं होता
फ़ना बुलंदशहरी
शे'र
जफ़ा-ओ-जौर क्यूँ मुझ को न रास आएँ मोहब्बत मेंजफ़ा-ओ-जौर के पर्दे में पिन्हाँ मेहरबानी है
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
महकने को गुल-ए-दाग़-ए-मोहब्बत दिल में है अपनेखटकने को है ख़ार-ए-हसरत-ए-दीदार आँखों में
कैफ़ी हैदराबादी
शे'र
जिस्म का रेशा रेशा मचले दर्द-ए-मोहब्बत फ़ाश करेइ’शक में 'काविश' ख़ामोशी तो सुख़नवरी से मुश्किल है
अब्दुल हादी काविश
शे'र
मोहब्बत ख़ौफ़-ए-रुस्वाई का बाइ'स बन ही जाती हैतरीक़-ए-इश्क़ में अपनों से पर्दा हो ही जाता है
मुज़तर ख़ैराबादी
शे'र
'इश्क़ वही तड़प वही हुस्न वही अदा वहीहुस्न की इब्तिदा वही 'इश्क़ की इंतिहा वही