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शे'र
अभी ऐ जोश-ए-गिर्या तू ने ये सोचा नहीं शायदमोहब्बत का चमन मिन्नत-कश-ए-शबनम नहीं होता
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
अगर हम से ख़फ़ा होना है तो हो जाइए हज़रतहमारे बा’द फिर अंदाज़-ए-यज़्दाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
कहीं रुख़ बदल न ले अब मिरी आरज़ू का धारावो बदल रहे हैं नज़रें मिरी ज़िंदगी बदल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
तू और ज़रा मोहकम कर ले पर्दों की मुकम्मल बंदिश कोऐ दोस्त नज़र की गर्मी को हम आज शरारा करते हैं
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
लफ़्ज़-ए-उल्फ़त की मुकम्मल शर्ह इक तेरा वजूदआ'शिक़ी में तोड़ डालीं ज़ाहिरी सारी क़ुयूद
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
तिरा ग़म सहने वाले पर ज़माना मुस्कुराता हैमगर हर शख़्स की क़िस्मत में तेरा ग़म नहीं होता
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
तिरा ग़म सहने वाले पर ज़माना मुस्कुराता हैमगर हर शख़्स की क़िस्मत में तेरा ग़म नहीं होता
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
मिरी आरज़ू के चराग़ पर कोई तब्सिरा भी करे तो क्याकभी जल उठा सर-ए-शाम से कभी बुझ गया सर-ए-शाम से