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जिगर मुरादाबादी
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मैं हाथ में हूँ बाद के मानिंद पर-ए-काहपाबंद न घर का हूँ न मुश्ताक़ सफ़र का
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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हुआ ये मा’लूम बा’द-मुद्दत किसी की नैरंगी-ए-सितम सेसितम ब-अंदाज़ा-ए-अदा है अदा ब-क़द्र-ए-जफ़ा नहीं है
अफ़क़र मोहानी
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सूरत-परस्त-ओ-राज-परस्त-ओ-सनम-परस्तमा'नी में देखिये तो सभी हैं ख़ुदा-परस्त
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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सूरत-परस्त-ओ-राज-परस्त-ओ-सनम-परस्तमा'नी में देखिये तो सभी हैं ख़ुदा-परस्त
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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अज़ीज़ सफ़ीपुरी
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चश्मः-ए-जारी खास्सः-ए-बारी गर्द-सवारी बाद-ए-बहारीआईना-दारी फ़ख़्र-ए-सिकन्दर सल्लल्लाहो अ’लैहे-वसल्लम
अमीर मीनाई
शे'र
बद-मिज़ाजी ना-ख़ुशी आज़ुर्दगी किस वास्तेगर बुरे हम हैं तो हो जिए और से जा आश्ना
मीर मोहम्मद बेदार
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बद-मिज़ाजी ना-ख़ुशी आज़ुर्दगी किस वास्तेगर बुरे हम हैं तो हो जिए और से जा आश्ना
मीर मोहम्मद बेदार
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कश्ती है सुकूँ की मौजों में इतना ही सहारा काफ़ी हैमेरे लिए तो ऐ जान-ए-जहाँ बस नाम तुमहारा काफ़ी है
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
शे'र
क़ल्ब-ए-मोमिन आईना है ज़ात-ए-मोमिन का ‘रज़ा’देखकर हैराँ उसे क्यों अ’क़्ल-ए-असकंदर ना हो
रज़ा फ़िरंगी महल्ली
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तेरे नैन-ए-पुर-ख़ुमार कूँ सरमस्त-ए-बादा-नाज़या बे-ख़ुदी का जाम या सहर-ए-बला कहूँ