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शे'र
वो आँख क्या है जिस को तिरी जुस्तुजू न होवो दिल ही क्या है जिस में तिरी आरज़ू न हो
अब्दुल्लाह बेदिल
शे'र
अब्र तुम्हारे कूँ जो है ब-शक्ल हिलाल-ए-ई’दमेहराब-ए-सज्दा ताअ'त-ए-अहल-ए-सफ़ा कहूँ
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
बुलबुल सिफ़त ऐ गुल-बदन इस बाग़ में हर सुब्हतेरी बहारिस्तान का दीवाना हूँ दीवाना हूँ
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
जोई अव्वल सोई आख़िर जोई ज़ाहिर सोई बातिनख़ुदी के तर्क में जल्दी से मख़्फ़ी सब अ'याँ होगा
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
कहीं रुख़ बदल न ले अब मिरी आरज़ू का धारावो बदल रहे हैं नज़रें मिरी ज़िंदगी बदल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
नहीं बंदा हक़ीक़त में समझ असरार मा'नी काख़ुदी का वहम बरहम ज़न पिछे बे-ख़ुद ख़ुदाई कर
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
मा'शूक़-ए-बे-परवाह आगे गरचे अ'बस है इल्तिजाउ'श्शाक़ को बेहतर नहीं ज़ीं शेवा-कार-ए-दिगर
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
तेरे नैन-ए-पुर-ख़ुमार कूँ सरमस्त-ए-बादा-नाज़या बे-ख़ुदी का जाम या सहर-ए-बला कहूँ