परिणाम "bab e haram muzaffar warsi ebooks"
Tap the Advanced Search Filter button to refine your searches
छटेगी कैसे 'मुज़फ़्फ़र' सियाही क़िस्मत कीनिकल तो आएगा ख़ुर्शीद रात ढलने से
काहकशाँ के ख़्वाब 'मुज़फ़्फ़र' देख रहा थाऔर बेदारी रेत के टीले पर ले आई
दश्त-नवर्दी के दौरान 'मुज़फ़्फ़र' सर पर धूप रहीजब से कश्ती में बैठे हैं रोज़ घटाएँ आती हैं
या-रहमतल-लिलआलमीनआईनः-ए-रहमत बदन साँसें चराग़-ए-इ’ल्म-ओ-फ़न
हरम है जा-ए-अदब काम देगी जन्नत मेंफ़रिश्तो ताक़ से बोतल ज़रा उठा देना
अश्कों से कहीं मिटता है एहसास-ए-तलव्वुनपानी में जो घुल जाए वो पारा नहीं होता
साहिल की आरज़ू नहीं ता'लीम-ए-मुस्तफ़ाये नाव तो रोज़ानः ही मंजधार से हुई
वो सितारा जो मिरे नाम से मंसूब हुआदीदः-ए-शब में है इक आख़िरी आँसू की तरह
डूब कर देख समुंदर हूँ मैं आवाज़ों कातालिब-ए-हुस्न-ए-समाअत मिरा सन्नाटा है
जिस की गर्दन में है फंदा वही इंसान बड़ासूलियों से यहाँ पैमाइश-ए-क़द होती है
भाग निकला था जो तूफ़ाँ से छुड़ा कर दामनसर-ए-साहिल वही डूबा हुआ कश्ती में मिला
लगाई आग भी इस एहतिमाम से उस नेहमारा जलता हुआ घर निगार-ख़ाना लगा
दूर जा कर मिरी आवाज़ सुनी दुनिया नेफ़न उजागर मिरा आईना-ए-फ़र्दा से हुआ
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशीऔर अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता
साया कोई मैं अपने ही पैकर से निकालूँतन्हाई बता कैसे तुझे घर से निकालूँ
कर्बला सामने आती जो वो लाशे ले करआँख तो आँख है पत्थर से भी रिसता पानी
जुग़राफ़िए ने काट दिए रास्ते मिरेतारीख़ को गिलः है कि मैं घर नहीं गया
पत्थर मुझे शर्मिंदा-ए-गुफ़तार न कर देऊँचा मिरी आवाज़ को दीवार न कर दे
आँख रौशन हो तो दुनिया के अँधेरे क्या हैंरस्तः महताब को रातों की सियाही में मिला
मैं इक आँसू ही सही हूँ बहुत अनमोल मगरयूँ न पलकों से गिरा कर मुझे मिट्टी में मिला
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books