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ख़ुदा को याद कर क्यों मुल्तजी है कीमिया-गर सेकि सोना ख़ाक से होता है पैदा ला’ल पत्थर से
बह्र लखनवी
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ख़ुदा को याद कर क्यों मुल्तजी है कीमिया-गर सेकि सोना ख़ाक से होता है पैदा ला’ल पत्थर से
बह्र लखनवी
शे'र
बहार आने की आरज़ू क्या बहार ख़ुद है नज़र का धोकाअभी चमन जन्नत-नज़र है अभी चमन का पता नहीं है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
बहार आने की आरज़ू क्या बहार ख़ुद है नज़र का धोकाअभी चमन जन्नत-नज़र है अभी चमन का पता नहीं है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
ख़्वाब है न बेदारी शुक्र है न होशियारीलुत्फ़-ए-लज़्ज़त-ए-कैफ़-ए-बे-ख़ुमार मुझ से पूछ
निसार अकबराबादी
शे'र
मिस्ल-ए-गुल बाहर गया गुलशन से जब वो गुल-एज़ारअश्क-ए-ख़ूनी से मेरा तन तर-ब-तर होने लगा
किशन सिंह आरिफ़
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मिस्ल-ए-गुल बाहर गया गुलशन से जब वो गुल-ए'ज़ारअश्क-ए-ख़ूनी से मेरा तन तर-ब-तर होने लगा
किशन सिंह आरिफ़
शे'र
लूटेगा सब बहार तिरी शहना-ए-ख़िज़ाँबुलबुल पर कर ले तू ज़र-ए-गुल को निसार शाख़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
लूटेगा सब बहार तिरी शहना-ए-ख़िज़ाँबुलबुल पर कर ले तू ज़र-ए-गुल को निसार शाख़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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ख़ुदा का शुक्र है प्यासे को दरिया याद करता हैमुसाफ़िर ने फ़राहम कर लिया है कूच का सामाँ