परिणाम "bairaq"
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है बारीक तार-ए-नज़र से ज़्याददिखाई न देगी कमर देख लेना
वह्म है शक है गुमाँ है बाल से बारीक हैइस से बेहतर और मज़मून-ए-कमर मिलता नहीं
मसर्रतें भी हैं ऐ 'बर्क़' ग़म का आईनासुकून को भी तो हम इज़्तिराब कहते हैं
ज़र्रे को आफ़ताब का हमता बना दिया'इश्क़-ए-नबी ने क़तरे को दरिया बना दिया
हर इक अदा को तिरी ला-जवाब कहते हैंसितम को भी करम-ए-बे-हिसाब कहते हैं
बर्क़ का अक्सर ये कहना याद आता है मुझेतिनके चुनवाने लगी हम से जुदाई आप की
शोख़ी-ए-रंग-ए-गुल-ए-रुख़्सार उस पर ख़त्म हैअ’क्स से ला’ल-ए-यमन हीरे का बुन्दा हो गया
हर एक जुज़्व है आईना वुसअ’त-ए-कुल काहर एक हर्फ़ को हम एक किताब कहते हैं
तुम्हारा आईना-ए-दिल है कुछ ग़ुबार-आलूदतुम अपने आईना-ए-दिल को ताबदार करो
बैठ कर रोए जहाँ ग़ुर्बत में दरिया हो गयाचार आँसू जब गिरे आँखों से चौका हो गया
या तू ने नज़र ख़ीरा कर दी ऐ बर्क़-ए-तजल्ली या हम हीदीदार में अपनी आँखों का एहसान उठाना भूल गए
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