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शे'र
फ़स्ल-ए-बहार में तो क़ैद-ए-क़फ़स में गुज़रीछूटे जो अब क़फ़स से तो मौसम-ए-ख़िज़ाँ है
हैरत शाह वारसी
शे'र
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
शे'र
मैं वो साफ़ ही न कह दूँ जो है फ़र्क़ मुझ में तुझ मेंतिरा दर्द दर्द-ए-तन्हा मिरा ग़म ग़म-ए-ज़माना
जिगर मुरादाबादी
शे'र
बेदम शाह वारसी
शे'र
हवस जो दिल में गुज़रे है कहूँ क्या आह मैं तुम कोयही आता है जी में बन के बाम्हन आज तो यारो
नज़ीर अकबराबादी
शे'र
उसी का है रंग यासमन में उसी की बू-बास नस्तरन मेंजो खड़के पत्ता भी इस चमन में ख़याल आवाज़ आश्ना कर
अमीर मीनाई
शे'र
वो हैं इधर 'इताब में दिल है उधर अ’ज़ाब मेंज़ौक़-ए-तलब ने क्यूँ मुझे जल्वा-ए-इल्तिजा दिया