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शे'र
मिरे क़ातिल की जल्दी ने मुझे नाकाम ही रखातमन्ना देखने की भी न निकली तेज़-दस्ती में
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
सरसब्ज़ गुल की रखे ख़ुदा हर रविश बहारऐ बाग़बाँ नसीब हो तुझ को बला-ए-गुल
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
तुम मिरे रोने पे हंसते हो ख़ुदा हँसता रखेये भी क्या कम है कि रो कर तो हंसा सकता हूँ मैं
कामिल शत्तारी
शे'र
अदा से हाथ उठने में गुल राखी जो हिलते हैंकलेजे देखने वालों के क्या क्या आह छिलते हैं
नज़ीर अकबराबादी
शे'र
तुम को कहते हैं कि आशिक़ की फ़ुग़ाँ सुनते होये तो कहने ही की बातें हैं कहाँ सुनते हो