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शे'र
राह में जन्नत 'हफ़ीज़' आवाज़ देती ही रहीहम ने मुड़ कर भी न देखा कर्बला जाते हुए
हफ़ीज़ फ़र्रूख़ाबादी
शे'र
ख़ुदा-हाफ़िज़ है बहर-ए-इ’श्क़ में इस दिल की कश्ती काकि है चीन-ए-जबीन-ए-यार से मौज-ए-दिगर पैदा
शाह नसीर
शे'र
कामिल शत्तारी
शे'र
दवाँ हो कश्ती-ए-उ’म्र-ए-रवाँ यूँ बहर-ए-हस्ती मेंकहीं उभरी कहीं डूबी कहीं मा’लूम होती है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
हाल-ए-दिल है कोई ख़्वाब-आवर फ़साना तो नहींनींद अभी से तुम को ऐ यारान-ए-महफ़िल आ गई
हफ़ीज़ होश्यारपुरी
शे'र
कहियो ऐ क़ासिद पयाम उस को कि तेरे हिज्र सेजाँ-ब-लब पहुँचा नहीं आता है तू याँ अब तलक
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
लूटेगा सब बहार तिरी शहना-ए-ख़िज़ाँबुलबुल पर कर ले तू ज़र-ए-गुल को निसार शाख़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
लूटेगा सब बहार तिरी शहना-ए-ख़िज़ाँबुलबुल पर कर ले तू ज़र-ए-गुल को निसार शाख़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
फूले नहीं समाते हो जामा में मिस्ल-ए-गुलपहुँचा है तुम को आज कसो का पयाम-ए-ख़ास
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
जिस दिन से बू-ए-ज़ुल्फ़ ले आई है अपने साथइस गुलशन-ए-जहाँ में हुआ हूँ सबा-परस्त