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शे'र
जब तक एक हसीं मकीं था दिल में हर-सू फूल खिले थेवो उजड़ा तो गुलशन उजड़ा और हुआ आबाद नहीं है
बेख़ुद सुहरावर्दी
शे'र
जान जाती है चली देख के ये मौसम-ए-गुलहिज्र-ओ-फ़ुर्क़त का मिरी जान ये गुलफ़ाम नहीं
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
ख़ुदा शाहिद है इस शम्‘अ-ए-फ़रौज़ाँ की ज़िया तुम होमैं हरगिज़ ये नहीं कहता तुमहें मेरे ख़ुदा तुम हो
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
शे'र
कश्ती है सुकूँ की मौजों में इतना ही सहारा काफ़ी हैमेरे लिए तो ऐ जान-ए-जहाँ बस नाम तुमहारा काफ़ी है
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
शे'र
तुम आए रौशनी फैली हुआ दिन खुल गईं आँखेंअँधेरा सा अँधेरा छा रहा था बज़्म-ए-इम्काँ में
हसन रज़ा बरेलवी
शे'र
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
कहाँ चैन ख़्वाब-ए-अदम में था न था ज़ुल्फ़-ए-यार का ख़यालसो जगा के शोर ने मुझे इस बला में फँसा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दियावहीं हैरत-ए-बे-खु़दी ने मुझे आईना सा दिखा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दियावहीं हैरत-ए-बे-खु़दी ने मुझे आईना सा दिखा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
इ’श्क़ में तेरे कोह-ए-ग़म सर पे लिया जो हो सो होऐ’श-ओ-निशात-ए-ज़िंदगी छोड़ दिया जो हो सो हो