परिणाम "gardish-e-hayaat"
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फ़लक ख़ुद पीर है गर्दिश सताए आप ही उस कोउसी से आह को शिक्वा है अपनी ना-रसाई का
ज़ुल्फ़ों का तसव्वुर सलामों की है बारिशमजबूर ग़म-ए-इ’श्क़ की हर शाम हसीं है
इस क़दर याद है बस इ'श्क़ की रूदाद 'हयात'जैसे देखा था कभी ख़्वाब-ए-परेशाँ कोई
शीशे में हसीं बादा-ए-गुल-फ़ाम हसीं हैमय-ख़ाना-ए-इस्लाम का हर जाम हसीं है
मिरे सय्याद को बा-वस्फ़-ए-असीरी है ये ख़ौफ़मैं क़फ़स में भी बना लूँगा गुलिस्ताँ कोई
तेरा इ’श्क़ मुझ कूँ है आब-ए-हयातन आवे मुझे मौत तेरे सँगात
दिल गया रौनक़-ए-हयात गईग़म गया सारी काएनात गई
आख़िर ग़म-ए-हयात के मातम से फ़ाएदाग़म ज़िंदगी के साथ ख़ुशी ज़िंदगी के साथ
वो क्या हयात है जो तर्क-ए-बंदगी न हुईचराग़ जलता रहा और रौशनी न हुई
मैं तलख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गयाग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
तुम्हारा दर्द है सरमाया-ए-हयात मिराख़ुदा करे कि ये हो ला-दवा ग़रीबनवाज़
जल्वा-ए-ज़ात ऐ मआ'ज़-अल्लाहताब-ए-आईना-ए-सिफ़ात गई
नज़र-अफ़ज़ोई-ए-शम-ए-तजल्ली ऐ ज़हे-क़िस्मतकहाँ बज़्म-ए-जमाल उन की कहाँ परवानगी अपनी
ऐ शम-ए-दिल-अफ़रोज़ शब-तार-मोहब्बततुझ से ही है ये गर्मी-ए-बाज़ार-ए-मोहब्बत
दिखा मुझ को दीदार ऐ गुल-एज़ारतुझे अपने बाग़-ए-इरम की क़सम
ऐ शब-ए-फ़ुर्क़त न आई तुझ को शर्मग़ैर के घर जा के मुँह काला किया
ऐ असीरान-ए-क़फ़स आने को है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँचार-दिन में और गुलशन की हवा हो जाएगी
ऐ बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत हर तरफ़तेरे आने से हुई है और भी बुस्ताँ में धूम
सदक़े ऐ क़ातिल तिरे मुझ तिश्ना-ए-दीदार कीतिश्नगी जाती रही आब-ए-दम-ए-शमशीर से
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