परिणाम "gosha-e-daaman"
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दिल के हर गोशे में तू हो आशिक़ी ऐसी तो होमैं तेरा हो कर रहूँ अब ज़िंदगी ऐसी तो हो
ब-तुफ़ैल-ए-दामन-ए-मुर्तज़ा मैं बताऊं क्या मुझे क्या मिलाकि अ’ली मिले तो नबी मिले जो नबी मिले तो ख़ुदा मिला
हमेशा दामन-ए-गुल मिस्ल-ए-शबनमहुआ मस्कन मिरे तिफ़्ल-ए-नेन का
हर गुल है चाक-दामन हर ग़ुंचा दिल-ए-गिरफ्ताऐ बाग़बान-ए-क़ुदरत फ़स्ल-ए-बहार क्या है
क़दम क़दम पे रही एक याद दामन-गीरतुम्हारी बज़्म में ये मुझ को बे-ख़ुदी न हुई
कहाँ दामन-ए-हुस्न आशिक़ से अटकागुल-ए-दाग़-ए-उल्फ़त में काँटा नहीं है
न पहुँचेगी कभी क्या गोश-ए-गुल तकक़फ़स से उड़ के फ़रियाद-ए-अनादिल
आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैंग़म के तेज़-रू धारे रास्ते बदलते हैं
भाग निकला था जो तूफ़ाँ से छुड़ा कर दामनसर-ए-साहिल वही डूबा हुआ कश्ती में मिला
पहुँच जाती है किसी के गोश-ए-दिल तकहमारी आरज़ू इतनी कहाँ है
नज़र-अफ़ज़ोई-ए-शम-ए-तजल्ली ऐ ज़हे-क़िस्मतकहाँ बज़्म-ए-जमाल उन की कहाँ परवानगी अपनी
ऐ शम-ए-दिल-अफ़रोज़ शब-तार-मोहब्बततुझ से ही है ये गर्मी-ए-बाज़ार-ए-मोहब्बत
दिखा मुझ को दीदार ऐ गुल-एज़ारतुझे अपने बाग़-ए-इरम की क़सम
ऐ शब-ए-फ़ुर्क़त न आई तुझ को शर्मग़ैर के घर जा के मुँह काला किया
ऐ असीरान-ए-क़फ़स आने को है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँचार-दिन में और गुलशन की हवा हो जाएगी
ऐ बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत हर तरफ़तेरे आने से हुई है और भी बुस्ताँ में धूम
सदक़े ऐ क़ातिल तिरे मुझ तिश्ना-ए-दीदार कीतिश्नगी जाती रही आब-ए-दम-ए-शमशीर से
मुरीद-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना हुए क़िस्मत से ऐ नासेहन झाड़ें शौक़ में पलकों से हम क्यूँ सहन-ए-मय-ख़ाना
ऐ ज़ब्त-ए-दिल ये कैसी क़यामत गुज़र गईदीवानगी में चाक गरेबान हो गया
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