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शे'र
हम तल्ख़ी-ए-क़िस्मत से हैं तिश्ना-लब-ए-बादागर्दिश में है पैमाना पैमाने से क्या कहिए
सीमाब अकबराबादी
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
इक चेहरे से प्यार करूँ मैं इक से ख़ौफ़ लगे है मुझ कोइक चेहरा इक आईना है इक चेहरा पत्थर लगता है
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
दुनिया के हर इक ग़म से बेहतर है ग़म-ए-जानाँसौ शम्अ' बुझा कर हम इक शम्अ' जला लेंगे
फ़ना निज़ामी कानपुरी
शे'र
‘अयाज़’ इक बेश-क़ीमत सा तुझे नुक्ता बताता हूँतुम अपने आपको समझो ख़ुदा क्या है ख़ुदा जाने