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शे'र
क़ाबू में दिल-ए-नाकाम रहे राज़ी-ब-रज़ा इंसान रहेहंगाम-ए-मुसीबत घबराना इक तर्ह की ये नादानी है
अहक़र बिहारी
शे'र
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहींफ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
जिगर मुरादाबादी
शे'र
सीमाब अकबराबादी
शे'र
मिरे आँसुओं के क़तरे हैं चराग़-ए-राह-ए-मंज़िलउन्हें रौशनी मिली है तपिश-ए-दिल-ओ-जिगर से
जौहर वारसी
शे'र
डरता ही रहे इंसाँ इस से उम्मीद गर है बख़्शिश कीहैं नाम इसी के ये दोनों ग़फ़्फ़ार भी है क़हहार भी है
अहक़र बिहारी
शे'र
अ’ज़्म-ओ--इस्तिक़लाल है शर्त-ए-मुक़द्दम इशक मेंकोई जादः क्यूँ न हो इंसान उस पर जम रहे