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शे'र
गरचे कैफ़ियत ख़ुशी में उस की होती है दो-चंदपर क़यामत लुत्फ़ रखती है ये झुँझलाने की तरह
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
शे'र
न छेड़ ऐ हम-नशीं कैफ़ियत-ए-सहबा के अफ़्सानेशराब-ए-बे-ख़ुदी के मुझ को साग़र याद आते हैं
हसरत मोहानी
शे'र
साँस में आवाज़-ए-नय है दिल ग़ज़ल-ख़्वाँ है 'ज़हीन'शायद आने को है वो जान-ए-बहाराँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
शे'र
सुकून-ए-मुस्तक़िल दिल बे-तमन्ना शैख़ की सोहबतये जन्नत है तो इस जन्नत से दोज़ख़ क्या बुरा होगा
हरी चंद अख़्तर
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
जो दिल हो जल्वा-गाह-ए-नाज़ इस में ग़म नहीं होताजहाँ सरकार होते हैं वहाँ मातम नहीं होता
कामिल शत्तारी
शे'र
करें आह-ओ-फ़ुग़ाँ फोड़ें-फफोले इस तरह दिल केइरादा है कि रोएँ ई’द के दिन भी गले मिल के
औघट शाह वारसी
शे'र
करें आह-ओ-फ़ुग़ाँ फोड़ें-फफोले इस तरह दिल केइरादा है कि रोएँ ई'द के दिन भी गले मिल के